काली अर्चन विषेश।

Kali Mantra
Kali Mantra
१) काली की उपासना करने वाले को सैदव शुद्ध वस्त्र पहन करके ही उनकी पूजा एव अर्चना करनी चाहिए ।
२)भगवती काली की उपसना तीन प्रकार की होती है। यथा- सात्विक, राजसी एव तामसिक।
३) जो साधक काली की उपासना करना चाहते हैं , उन्हें स्त्रियों की निंदा, अप्रिय वचन और उनसे कुटिल व्यवहार नहीं करना चाहिए।
४) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की रात्रि में कलिपूजन करने का विधान धर्मग्रंथो में बताया है।
५) भगवती काली की उपसना जो तांत्रिक विधि के द्वारा करते हैं, उन्हें पशुबलि देने का पूर्ण अधिकार है,परन्तु जो सात्विक पूजा करते हैं, उन्हें पशु कि जगह उड़द या कोहड़े की बलि देनी चाहिए।
६) काली की उपासना करनेवाला साधक यदि पुरुश्चरन के द्वारा काली की सिद्धि प्राप्त कर लेता है तो इस सिद्धि को जनहित कार्यो में लगाना चाहिए।
७) जो साधक लाल रंग के कमलो से काली का हवन करते हैं , वे उच्च पद को प्रप्त करते हैं।
८) मार्जार, भेड़, ऊंट और भैंसे की हड्डी एव रोम और खाल के साथ जो साधक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अर्धरात्रि में बलि देते हैं ,ऐसे साधक के वशीभूत सभी जीव जंतु हो जाते हैँ।
९) जो साधना करने वाला व्यक्ति बिल्वपत्रों के द्वारा काली के एक हज़ार नामो से हवन करता है तो उसे वशीकरण की सिद्धि प्राप्त होती है।
१०) जो साधक काली की उपासना करते हैं, उन्हेँ अश्वमेद्यादि यज्ञो के करने का फल निःसन्देह प्राप्त होता है।
(नोट- लेखक की मंशा किसी भी प्रकार की पशु बलि या किसी भी ऐसी प्रकार की प्रथा को बढ़ावा देना नहीं जिसमे किसी भी जीव को हानि पहुँचे, लेख का उद्देश्य विभनन सत्रोत से उपलब्ध केवल जानकारी देना है ,इसे अन्यथा न लिया जाये, किसी भी प्रकार की जीव हानि या उससे उत्तपन्न दोष की जिम्मेवारी लेखक की नहीं होगी)
किसी भी प्रकार के सुझाव, उपाय, सहायता ,जानकारी के लिए सम्पर्क करें- shashwatjyotish@gmail.com