सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

Pitra Amavasya Remedy
Pitra Amavasya
सर्वपितृ अमावस्या के अलावा भाद्रपद मास की अमावस्या की रात 'महालय' भी मनाया जाएगा ।
इस वर्ष हिन्दू धर्म में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के दौरान 'पितृ पक्ष' है। 15 से 16 दिनों तक चलने वाले इस काल में पितरों की शांति और परिवार का सुख पाने के लिए धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं। इस साल 15 सितंबर 2019 से पितृ पक्ष प्रारंभ हुए और 28 सितंबर 2019 को 'सर्वपितृ अमावस्या' के साथ इसका समापन हो रहा है। 
सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध क्यों?
पितृ पक्ष में हिन्दू अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। इस पूरे काल में तिथि अनुसार श्राद्ध किया जाता है। लेकिन सभी तिथियों में से सबसे महत्वपूर्ण श्राद्ध की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या होती है। इसीदिन श्राद्ध करने को महत्व दिया जाता है । सर्वपितृ अमावस्या पर ही पितरों का श्राद्ध करने के पीछे शास्त्रों में दो प्रयोजन दिए गए  हैं। 
पहले कारण के अनुसार यदि किसी को अपने पितरों के श्राद्ध करने की तिथि मालूम ना हो, वह इस दुविधा में हो कि किस तिथि को उसके किस मृत परिजन का श्राद्ध किया जाना चाहिए, तो वह सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर सकता है। अमावस्या होने के कारण यह दिन महत्वपूर्ण होती है और इस दिन किया गया श्राद्ध अधिक फलित भी माना गया है। 
दूसरा कारण, इसके अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन यदि पितरों का श्राद्ध किया जाए, पूजा के दौरान पितरों के नाम की धूप जलाई जाए, दान किया जाए तो इससे तन, मन और घर में शांति आती है। रोग और शोक से भी परिवार वालों को मुक्ति मिलती है।
महालय का महत्व
सर्वपितृ अमावस्या के अलावा भाद्रपद मास की अमावस्या की रात को ही 'महालय' भी मनाया जायगा। इसे बगाली समुदाय के लोग अधिक मनाते हैं। इसमें लोग तैयार होकर अमावस्या की काली अंधेरी रात में मंदिर जाते हैं और मां दुर्गा के आगमन की तैयारियां करते हैं। इस वर्ष ये 28 सितंबर 2019 की रात को मनाया जायेगा ।
पितृदोष की शांति के 11 सरल उपाय करने से पितृ दोष में शान्ति मिलती है !!
1. कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
2. अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं।
3. इसी दिन अगर हो सके तो अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है।
4. पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
5. शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।
6. सोमवार प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। 21 सोमवार करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है।
7. प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।
8. कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है।
9. ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान, गर्मी में पानी पिलाने के लिए कुंए खुदवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है।
10. पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है।
11. पितरों के नाम पर गरीब विद्यार्थियों की मदद करने तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है।
पित्र दोष निवारण मन्त्र
मन्त्र 1 -- ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः ।
मन्त्र २-- ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः ।।