बीज मंत्र एवं रोग निदान

बीज मंत्र एवं रोग निदान



वैदिक काल से ही हमारे ऋषि मुनियो ने मंत्रो के महत्व को मान्यता दी है , उसमे भी बीज मंत्र विशेष हैं , आयुर्वेद और यथर्वेद में भी इनके बारे में जानकारी मिलती है।  बताया जाता है की बीज मंत्रो के जाप से बहुत से रोगो का निदान हो सकता है  और यदि इनको  नियमपूर्वक जाप किया जाये तो मनुष्य अपने शरीर  प्रत्येक अंग को शक्तिशाली बना सकता है जिससे रोग निदान में सहायता मिलती है। 


हमारे  शास्त्र में बहुत सारे  ऐसे बीज मंत्र हैं जिनकी सहायता से और जिनके नित्य प्रति जाप करने से शरीर को विशेष शक्ति प्राप्त  होती है।  इन बीज मंत्रो का जाप प्रातः खाली  पेट स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर , करना चाहिए। 

कुछ विशेष बीज मंत्र और उनसे मिलने वाले लाभ इस प्रकार हैं :


ह्रीं ;- इस बीज मंत्र जाप से   फेफड़े , गले और ह्रदय को शक्ति प्राप्त होती है। 


ह्रूं :-इससे शरीर के अंग जैसे पेट , यकृत , बड़ी आंत एवं गर्भाशय को शक्ति मिलती है। 


ह्रां :- इसके जाप से गले और मस्तिष्तक को विशेष लाभ पहुँचता है। 


ह्रं :- इस बीज मंत्र के जाप से मूत्र नलिका एवं उससे सम्बंधित अंगो को विशेष शक्ति प्राप्त होती है। 


ह्रौं :- इसके जाप से पेट एवं उससे सम्बंधित सभी व्याधिया समाप्त हो जाती हैं।


इन मंत्र को जाप करने के लिए किसी विशेष माला की आवशयकता नहीं हैं , और न इनकी कोई गड़ना ही है।  आप इन बीज मंत्रो को अपनी सुविधा अनुसार जाप कर सकते हैं , इसमें ध्यान देने योग्य इनका उच्चारण है और श्वास की गति , कब  और कितना  श्वास छोड़ना और लेना है।